पड़ताल : दो भाई एक सपाई एक भाजपाई एक ही हत्या में दोनों बने आरोपी भेजे गए जेल
सरियांवा गांव के लोग कहते है कि आरोपियों के घर चढ़ कर मारपीट करने गए थे मृतक पक्ष के लोग तब बढ़ा विवाद

पड़ताल : दो भाई एक सपाई एक भाजपाई एक ही हत्या में दोनों बने आरोपी भेजे गए जेल
लोग कहते है कि आरोपियों के घर चढ़ कर मारपीट करने गए थे मृतक पक्ष के लोग तब बढ़ा विवाद
ग्लोबल भारत डेस्क : फुरकान हत्या कांड में सरियांवा गांव में हुए गोली कांड जिसमें एक युवक की मौत हो गई थी। रविवार की शाम फुरकान का अंतिम संस्कार किया गया लेकिन कई टीसें बनी रहेंगी। घटना के प्रमुख आरोपी बनाए गए दो भाइयों में तनवीर मिल्की समाजवादी पार्टी के जिला महासचिव है तो दूसरे भाई मो. शोहराब भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष प्रतापगढ़ हैं। आरोपी सपा नेता तनवीर मिल्की और भाजपा नेता मो. शोहराब की गिरफ्तारी के बाद क्षेत्र में चर्चा जोरो पर है कि एक ही छत के नीचे रहकर दो अलग अलग राजनीतिक विचारधारा के मानने वाले शनिवार की शाम हुए हत्याकांड में सहआरोपी कैसे बन गए। क्या सबका साथ सबका विकास का फार्मूला भूल गए जो गोलीबारी के समय अपने प्रमुख विपक्षी दल के जिला पदाधिकारी के साथ अपराध की घटना में सहभागी बन गए। जब दोनों की साथ में गिरफ्तारी हुई और साथ में ही जेल भेजे गए तो लोगो के दिमाग खटकता है कि कैसे अलग राजनीतिक विचारधारा के मानने वाले हत्या के आरोप में अपराध करने के लिए एक कैसे हो गए।
पुलिस ने इस मामले में दोनों राजनीतिक भाईयों की कुंडली सार्वजनिक किया तो सपा नेता तनवीर मिल्की पर गुंडा एक्ट सहित 9 मुकदमे पहले से दर्ज है वहीं भाजपा नेता पर 4 मुकदमे दर्ज है।
ग्रामीणों ने चौंकाने वाली जानकारी बताई
नाम न छापने की शर्त पर सरियांवा गांव के ग्रामीणों की बताया कि शनिवार 22 नवंबर की शाम हुई घटना में गोली चलाए जाने से पहले मृतक फुरकान के पक्ष के लोग सपा नेता के घर पर आधा दर्जन से अधिक की संख्या में चढ़ आए थे। आरोप यह भी है कि मारपीट की शुरुवात इसी पक्ष के लोगों द्वारा हुई जिसमें दोनों भाईयों को लाठी डंडे और राड से पीटा गया और इसी दौरान चलाई गई गोली से फुरकान और साहिल घायल हो गए। ये सारी बातें भाजपा नेता की पत्नी ने हमारे प्रतिनिधि को बताया। अब सच्चाई क्या है ये तो मौके पर मौजूद लोग ही जानते है और पुलिस की जांच में बात सामने आएगी। 4 लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया और तीन की गिरफ्तारी भी हो गई है। एक आरोपी बाहर है वो जल्दी पकड़ लिया जाएगा लेकिन लोगों के जेहन में एक बात बार बार आ रही है कि दो समान विरोधी विचारधारा के मानने वाले एक ही छत के नीचे रहते थे और गोली कांड जैसी घटना में सपा के नेता के साथ मौजूद रहे। तो क्या उनमें इस बात को मत भिन्नता नहीं रहती रही होगी या सब कुछ सोची समझी रणनीति के तहत था कि एक सत्ता पक्ष के साथ तो दूसरा प्रमुख विपक्षी दल के साथ ताकि बारी बारी सरकारें बदल जाए तो इनके निजाम को कोई फ़रक न पड़ें।




